छत्तीसगढ़ में
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार ने किसानों के
साथ-साथ ग्रामीणों की आय बढ़ाने का जो संकल्प लिया था, वह पूरा होता
दिखाई दे रहा है। राज्य में केवल एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) के आंकड़ों
के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 21
लाख 88 हजार 756 सदस्य समूह के
माध्यम से पंजीकृत हैं जो विभिन्न आजीविका संबंधी गतिविधियों से जुड़े हैं। इनमें गौठान समिति, वनधन विकास केंद्र समिति, डेयरी उद्यमिता, बैंक सखी, वनोपज संग्रहण, पर्यटन से लेकर दर्जनों समितियों
के माध्यम से लोग स्वरोजगार के जरिए अपनी आजीविका का संचालन कर रहे हैं।
इनमें से ज्यादातर की
आमदनी भी दो से तीन गुना तक बढ़ी है। छत्तीसगढ़ की ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था
का मजबूत होना और बेरोजगारी दर में कमी आना इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।
इसलिए मजबूत हुई अर्थव्यवस्था और कम हुई बेरोजगारी
§ गौठान बनाकर
सरकार ने करीब 65 हजार से ज्यादा महिलाओं और पुरुषों को समूह के माध्यम से जोड़ा
है, जो वहां के उत्पाद के जरिए अपनी आजीविका चला रही हैं।
§ मल्टीयूटिलिटी सेंटर के माध्यम से हर जिलों में वनोपज, कृषि, ग्रामोद्योग, पारंपरिक कलाकृतियां और हथकरघा से जुड़े उत्पाद बेचने की जिम्मेदारी समूहों को दी गई, जिससे वे निश्चित आय प्राप्त कर रही हैं।
§ वनोपज की
खरीदी-बिक्री के माध्यम से वनधन विकास केंद्र बनाए गए। इसके अलावा वनधन विकास
समिति गठित कर करीब 18 हजार सदस्यों को समूह के माध्यम से जोड़ा गया।
§ मछली पालन, कुकुट पालन आदि
के माध्यम से गांव-गांव में समूह बनाकर उन्हें विभागों से मदद दी गई ताकि उनकी
आजीविका चल सके।
§ छत्तीसगढ़ राज्य डेयरी उद्यमिता के
कारोबार से महिला समूहों को जोड़ा गया, जो गांव-गांव में
दूध संग्रहण केंद्रों के माध्यम से आय प्राप्त कर रही हैं।
§ दूरस्थ क्षेत्रों में नए पर्यटन स्थल खोजकर सरकार ने तैयार कराए और वहां के रखरखाव, किचन और पर्यटकों
से शुल्क वसूली के संचालन की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता को सौंपी गई, जिन्हें आय होने
लगी।
§ बैंक सखी के माध्यम से महिला स्व सहायता समूह को जोड़कर उन्हें गांव-गांव में फैलाया गया, जिसके कमीशन के जरिए
उन्हें आय प्राप्त होने लगी।
§ रेशम का धागा व कपड़ा कारोबार से छत्तीसगढ़ के लोग-बाग रायगढ़, जांजगीर चांपा, कोरबा, महासमुंद, धमतरी जैसे जिलों
में महिला समूहों को रोजगार के अवसर मिले हैं, जिससे उन्हें
स्वरोजगार का मौका मिला।
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