जनाउला
(पहेली)-संस्कृत में पहेली को 'प्रेहलिका' कहते हैं. पहेली
बुद्धि पर शान चढ़ाने की कला है, लोगों में अनेक ऐसी पहेलियाँ
प्रचलित हैं, जिनका उत्तर देने
में बड़े-बड़े की बुद्धि चकरा जाती है. प्रकट रूप में जिस वस्तु का वर्णन पहेली
में होता है, वह तो कभी होती
ही नहीं, सांकेतिक अर्थ
पकड़ते-पकड़ते सही लक्ष्य तक पहुँचा जाता है. पहेली में इतने अधिक प्रयोग पाए जाते
हैं कि लोकसाहित्य की किसी भी विधा में नहीं दिखाई देते, यहाँ तक कि कोई पहेली दो-चार शब्दों में बन
जाती है, तो कोई छन्दबद्ध
होती है, कोई गद्य रूप में
निबद्ध होती है, ये पहेली प्रश्नोत्तर शैली
में होती है. छत्तीसगढ़ में इसे 'जनाउला' कहते हैं।
लोकोक्तियों की भाँति जनाउला भी लोक-जीवन के
बौद्धिक मनोरंजन का प्रमुख साधन है और सामान्य ज्ञान और अनुभव को परखने का एक
माध्यम भी है.
कुछ उदाहरण बॉक्स में दिए
गए हैं-
जनाउला (पहेली) |
|
जनाउला |
उत्तर |
(1) घाम मा जनमै, हवा मा मुरझाय, गोई तोला पूछ हौं, हवा में
सुख जाय ? |
पसीना |
(2) पर्रा भरा लाई गगन भर छाई ? |
तारे |
(3) पूंछी ले पानी पिये, मुड़ी ह ललियाय ? |
दीपक |
(4) पाँच भाई के एके अँगना ? |
हथेली |
(5) रात मा गरू, दिन मा हरू ? |
खटिया |
हिन्दी के पहेलियों को छत्तीसढ़ी भाषा में इसे जनऊला कहते है, जो मानवबुद्धि को एक तर्क वितर्क करने की इक्षा शक्ति प्रदान करता है जो कि अनेक शब्द के एक शब्द के शब्दार्थ को इंगित करता है।
01. एक थारी म दु अण्डा एक गरम एक ठण्डा - सूर्य, चन्द्रमा
02. नन्द बबा के नौ सौ गाय, रात चरत दिन
बेड़े जाय - तारे तारा
03. एक थारी मा मोती भरे, ओमा ले एको न
गिरे – तारा
04. पर्राभर लाई अकास म बगराई - तारा
05. छै गोड़िया बईद बिन बलाये आथ तारा मच्छर ।। बिन
बिमारी सुजी देथे, बिन पैसा घर जाथे – मच्छर
06. एक जानवर असली, हड्डी न पसली - जोंक
07. बिना पाँव के अहिरा भइया, बिना सिंग के गाय, अइसन अचरज हम नइ
देखेन, खारन खेत कुदाय – सर्प और मेंढक
08. लाल दाडो मुंहचा कर कहां आये मोर ठकुरा बकरा – बकरा
09. संगमरमर के दुर्ग बने है, खिड़की न· दुवार भीतर सागर
बीच पुराइन, फूल बिना नार – अंडा
10. छै महिना के रांधे भात। जब खाबे तब ताते तात – मिर्च
11. फरे न फूले नवे न डार, जब ले जीवय तबले
खाय - नमक
12. तीन मूड़ शंकर नो हे, दूध देये गाय
नोहे, रूख मं रथे ते पंछी नोह – नारियार
13. एक फकीर जेकर पेट म लकीर – गेहूं
14. अगर देखे डगर देखे देखे कलकत्ता, एक अचम्भा
फुलगोभी अइसे देखे फुल ऊपर पत्ता – फूलगोभी
15. छोटे खुंटी के लाल टुरी, हरियर फीता गंथाय
अइसन टुरा के पाछी परे ता पच्च ले फेकाय - टमाटर
16. कलिन्दर जइसे गोल मटोल, सेव कस चमकिला
हरियर- हरियर डारा ओरमे, दिखथे रंगीला - टमाटर
17. एक बित्ता के टुरा, दु कौरा खाथे, बोर्री ल मसके ले
डहर ल बताथे - टार्च
18. एक फूल कौवा के बानी, सौ फरे ता तुमन जानी – केला
19. बचपन हरा बुढ़ापा लाल, टिप्प के परत मे बिगड गे हाल - मिर्च
20. खसखस पान बिजर्रा डेंठा, रामचरन के सुघर बेटा – खीरा
21. अइठे-गोइठे, पहर ऊपर बइठे - बोइर
22. बोअत देखेंव बटुरा, जामत म कुसियार ढाई महीना के छोकरा, दाढ़ी मेछा म हुसियार -
भुट्टा
23. नानकुन मटकुलदास, ओन्हा पहिरे सौ पचास – प्याज
24. पीतल के बटलोही, लोहा के ढ़कना तेकर भीतर तीन ठन पखना – तेंदु
25. लोहा के पेंड़, सोन के फूल चांदी के फर आंखी के झूल - बबूल
26. एक गोड़ म सौ ठन घूंघरू -
मूंगफली
27. नानकन टूरी कोकानी असन
पेट, कहाँ जाबे टूरी रतनपुर
देस – नारियल
28. ओला देखय दू झन, ओला बिनय दस झन खाय बत्तीस, सवाद पावय एक्के
झन - आम,जीभ
29. फूल फूले रींगी-चींगी फर फरे लमड़ोरा – मुनगा
31. टेड़गी-मेड़गी लकरी, पहार चढ़ी जाय - धुंआ
32. बाप बेटा के एके नाम, नाती के नाम आन - मउहा
33. उचकुल- गुचकुल कुँआ खदान, बत्तीस पेड़ म एक पान - मुँह
34. पाँच भाई के एके अंगना -
हथेली
35. करिया हे पर कौआ नहीं, लम्बा हे पर साँप नहीं तेल चढ़ये पर हनुमान नहीं फूल चढ़ये
पर भगवान नहीं - बाल
36. दौड़िस तेन पाइस नही, पाइस ते खाइस नही खाइस ते पाइस नही - पैर हाथ मुंह
36. घाम मा जनमें, छाँव मा मुरझाय अरे पूछौ तोला वहा देख सुख जाय – पसीना
36. सादा खेत करिया चना, हाथ म बोके, मुंह म गिना - लिखावट, संख्या, अंक
37. एक हड़िया जेमा, दुरंग के पानी – अंडा
37. ऊपर पचरी, तरी पचरी, बीच म मोगंरी
मछरी - जीभ
38. एक मंदिर के दु दरवाजा
ओमा ले निकले भुरूवा राजा - नाक
39. चार चोर चार कुसियार दुदी
उन खाइन - चारपाई
40. थोरहे खाय हदर मरय, जादा खाय फूल मारे - गुब्बारा /
फुग्गा
41. पण्डरा खेत म करिया नांगर
– कलम
42. करिया गाय करोंदा खाये, ढिले बईला लंका जाये – बंदूक
43. एक सींग के बोकरा, बेरेर बेरेर
नरियाय मुड़ी म चारा चरे, पांजर म पगुराय – जांता
44. छोट कन धागा, गोठ ले भागा -
टेलीफोन
45. रेचकी घोड़ी के पेचकी
लगाम, ओमा चढ़े ससुर दमाद - चूल्हा
46. करिया तलाब म भुरूवा
नहावै, भुरूवा खियावै ता तरिया मतावै - ब्लैकबोर्ड
47. चढ़े ल नाक म, धरे ल कान, बता ओहर कोन ए
इंसान - चश्मा
49. सगा घर सगा जाय, धर सगा सगा ला, मार सगा सगा ला -
लोहा
50. कुकरी के मूंड़ी, अंदौरी बरी, तोर चटके, मोर हालत हे - कान
की बाली
51. दार भात के मरम न
जाने, कच्चा रोटी खावै - चौकी बेलन
52. तीन गोड़ के बेंदरा, बिन बिरिछ के डार, अपन घर म झूले त, सुख ल पावै आन - सिलिंग
फेन
53. बिना सिर के चिड़िया, पंख हे कई हजार, निकल के पिंजरा
जा बैठे दू डार - किताब
54. एक गुफा म चालीस
बेन्दरा, मुंह हे काला, पुंछी धर के रगड़ दे तो
निकले उजाला - माचिस
55. आजु-बाजु गोल-गोल, बीच म ठड़ियाय, आगु हर सकलावै
ता, पाछु हर चकराय - गाड़ा
56. दु गोड़ के जानवर, कान अंइठे ता
खिलखिलाके हांसे – साइकल घंटी
57. चले ना फिरे नोहै कोई
जीव, पेट म गम्मत नाचा, बइठे छब्बक छीव -
टी.वी.
58. न खसर न पसर मइल
चांटे मारी, अजरा गजरा पानी लेके करे उजियारी - - साबुन
59. न गोढ़ न हाथ मुंह न
दांत, चाकर काया ले करे बात - अखबार
60. बीच तरिया में गोबर
थाल - कछुवा
61. कान्धे आये कान्धे
जाये, नेग नेग म मारे जाये - मृदंग
62. ठुड़गा ऊपर बुड़गा
नाच - कुल्हाड़ी
63. अंजन रूप बिरंजन चिरई, हाले रूख ता बोले
चिरई - पायल
64. चाँद बरोबर मुखड़ा
धरती न अगास, घेरी बेरी बहू देखे, एको घरी न सास - - दर्पण
65. नानकुन टूरी, कूद-कूद के पार बांधे - सूई
66. पडरा खेत म करिया
नांगर - कलम
67. दिखे म करिया जरे म
लाल, फेंके म सादा बताये बकर हाल - कोयला
68. दिन म सोवै रात म
जागै, जतका जागे ओतके खोवै - मोमबत्ती
69. मुट्ठी भर ऑटा, घर-घर बांटा - अंजोर
70. काटे ले कटाय नहीं, बोंगे ले बोंगाय
नहीं - छाया, पानी
71. पूछी म पानी पीये, मुड़ीहर ललियाय - दीया
72. करिया बइला बइठे हे
लाल बइला भगत हे - आगी
73. चारा रहत ले चर बोकरा, चारा सिरागे ता मर बोकरा -
दीया
74. खर खाय खूंटी खाय, पानी पीयय मर जाये - आग
75. चार चौक बीच बजार, सोलह बेटी के तीन दमाद - चौपड़
76. बीच तलाब में थोरहे
पानी, ओमा नाचे लाल भवानी - पुड़ी
77. पाँच कबूतर पाँचे रंग, महल मे जाके एके रंग - पान
सुपारी
78. ऐती ओती जावत है, धरे नई पावत हे - छाया
79. दूर देस तोर मइके, गांव-गांव ससुरार, गली-गली तोर घनी
ठाढ़े, घर-घर परिवार - बिजली
89. लिटिया चिरई भितिया म
बइठे, राजा देख भूइंया म उतरे - सिर- सुर्य
81. लाल बैला कुदावत हे, करिया बैल भागत है - आग
कुहरा
82. हरियर लाटा, लाल पराठा - मेंहदी
83. पहर हे पर पखरा नइ ए, नदी पर ज़ल नइए, शहर हे पर मनखे
नही, बन हे पर बिरिछ नहीं - नक्शा
84. पूंछी ल खाय ता मुड़ी
हर सिराय - बिड़ी
85. कत्था सुपाड़ी बंगला
पान, नारी पुरूष के बाइस कान - रावण
86. एक राजा के दु रानी, चार बेआ आठ नौकरानी, सोरा नाती एके
नाव, एला बता काय ज्ञानी - रूपया
87. सावन भादो खुब चले, माघ पुस म थोरी, अमीर खुसरो कहन
लागे, बुझ पहेली मेरी - नाला
88. उड़े त खन-खन करे, बइठे पंख बिछाय, लाखन जीव ला मारिके, आपन कछु नई खाय – केवट के जाल
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