छत्तीसगढ़ी व्यंजन भी अपना
एक विशेष पहचान रखती है। पर्वों, उत्सवों एवं तीज त्यौहारों में भाँति-भाँति प्रकार के पकवान
बनाए जाते हैं जो कि विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों से बनाये जाते है। महिलाएँ
इस काम को विशेष रूप से करती हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में तरह-तरह व्यंजन बनाए जाते
हैं जो कि छ.ग. के लोक संस्कृति की महत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते
है। कुछ छत्तीसगढ़ व्यजनों का विवरण इस प्रकार हैं –
1. ठेठरी :- बेसन आटा से
निर्मित यह लम्बी या गोल आकृति वाला नमकीन व्यंजन होता है। जोकि तीजा, पोला जैसे विशेष
अवसरों में बनाया जाता है।
2. खुरमी
:- गेंहूँ तथा चावल आटे के मिश्रण से निर्मित एक लोकप्रिय
एवं स्वादिष्ठ मीठा पकवान है। जोकि विवाह, गोना एवं पोला जैसे अवसरों पर बनाया जाता है।
आटे से बनी अनुष्ठानिक व्यंजन है।
3. पपची :- यह बालूशाही
के समान होती है। जोकि गेहूँ-चावल सामान्यतः विवाहोत्सव, सधौरी में इसका
विशेष महत्व होता है।
4. अईरसा:- चावल आटा और
गुड़ की चाशनी से बना स्वादिष्ट पकवान है। आकार में बड़ा होता है। दीपावली, होली में इसका
विशेष रूप से चलन है।
5. बरा :- घर में
सामान्य उत्सव एवं मेहमान नवाजी हेतु उड़द- द-मूँग दाल से निर्मित यह एक लोकप्रिय
व्यंजन है । जिसका विवाह तथा अनेक मांगलिक कार्यों में विशेष चलन है।
6. भजिया :- चना बेसन से बना नमकीन
व्यंजन है। कड़ाही में तलकर तैयार किया जाता है। अतिथि संस्कार में विशेष रूप से
बनाया जाता है।
7. देहरौरी :- देसी
रसगुल्ले, देहरौरी मीठा
व्यंजन है। चावल आटा व गुड़ के मिश्रण से बनाया जाता है। पितृपक्ष में इसका विशेष
महत्व होता है।
8. गुलगुला :- भजिये की एक
रूप है। जो कि गेंहूँ आटा व गुड़ से निर्मित एक मीठा व्यंजन है। अतिथि संस्कार पर
विशेष रूप से बनाया जाता है।
9. चीला :- चावल
आटे से निर्मित एक प्रचलित व्यंजन है। चीले के दो रूप प्रचलन में हैं मीठा और
नमकीन चावल के आटे में नमक डालने से नुनटा चीला एवं घोल में गुड़ डालने से गुरहा
चीला बनता है। हरतालिका पर्व के समय विशेष महत्व होता है।
11. चौसेला :- चावल
आटे से बना स्वादिष्ट पकवान है। कड़ाही में तेल से छानकर बनाया जाता है। हरेली, पोला, छेरछेरा त्यौहार में
विशेष रूप से बनाया जाता है।
12. तसमई :- दूध, चावल व शक्कर से निर्मित
मीठा व्यंजन है। यह खीर का ही एक रूप होता है। शरद पुर्णिमा के अवसर पर इसका विशेष
महत्व होता है।
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