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वायु प्रदूषण - अर्थ कारण बचाव के उपाए

 

वायु प्रदूषण (AIR POLLUTION)

वायु प्रदूषण का अर्थ है कि - निलंबित कणों व अवांछित गैसों का हमारे वातावरण में इतनी अधिक मात्रा में पाया जाना, जिससे मनुष्य जीव जन्तुओं व अन्य वस्तुओं को हानि पहुँचे। रोज़मर्रा की होने वाली क्रियाओं से हमारे वातावरण की वायु किस प्रकार प्रभावित होती है।

प्रदूषण की जानकारी प्राप्त करने का एक और तरीका भी है। इसके लिए आप विभिन्न स्थानों जैसे उद्यान, सड़क, वन, स्कूल, औद्योगिक स्थल इत्यादि से पेड़ों की पत्तियां एकत्र कीजिए । पत्तियों को देखिए, उन पर लगी धूल को ऊंगली से हटा कर देखिए की धूल की परत कितनी मोटी है। यदि धूल की परतों में कुछ भिन्नता दिखे तो कारण जानने की कोशिश कीजिए ।



प्रदूषक वायु किसी भी रूप में हो सकते है, जैसे ठोस या गैसीय कण। ठोस कणों को निलंबित कण भी कहते हैं। ये कण मनुष्य के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने के साथ-साथ वातावरण को धुंधला कर देते हैं। प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

वाहन (Vehicles) - वाहनों का उपयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कार, बस, ट्रक, तिपहिया वाहन (आटो रिक्शा) पेट्रोल या डीज़ल से चलते हैं। इन ईंधनों के जलने के कारण व अक्सर जलने की अधूरी क्रिया के कारण काफी मात्रा में कार्बन– मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, सीसा इत्यादि निकलते हैं। ये गैसें मनुष्य के स्वास्थ्य, वनस्पति व वस्तुओं पर हानिकारक प्रभाव डालती हैं। शहरों में वाहनों की संख्या ज्यादा होने के अलावा अन्य कारण जैसे वाहन का इंजन कैसा है? इंजन में इस्तेमाल की गई तकनीक नई है या पुरानी है? आदि कारण भी प्रदूषण को घटाते या बढ़ाते हैं।  

उद्योग (Industrialization) - स्टील उद्योग, सीमेंट उद्योग, उर्वरक उद्योग आदि औद्योगिक संस्थानों से निकलने वाले प्रदूषित ठोस कणों का हानिकारक प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर तो होता है, साथ ही जीव-जन्तु, वनस्पति व इमारतों पर भी होता है। बढ़ती हुई जनसंख्या व बढ़ते उद्योग के साथ ही ऊर्जा की आवश्यकता भी बढ़ गई है इनकी पूर्ति के लिए बड़ी-बड़ी परियोजनाएं बनी हैं। जिसमें कोयले के बढ़े हुए इस्तेमाल ने वायु प्रदूषण में बढ़ोत्तरी की है। इसके अलावा इन संस्थानों से बहुत मात्रा में राख भी निकलती है जो भूमि के काफी हिस्से को ढक लेती है।

 

वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय (MEASURES TO CONTROL AIR POLLUTION)

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें प्रदूषण नियंत्रण के तरीके इस्तेमाल करने होंगे जैसे—

1. औद्योगिक संस्थानों में निर्माण की प्रक्रिया में बदलाव लाना जिससे कम मात्रा में प्रदूषक निकलें।

2. ऊर्जा उत्पादन के कम प्रदूषणकारी उपायों जैसे सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग करना ।

3.वाहनों की वायु प्रदूषण संबंधी जांच नियमित रूप से करना ।

4. सूखे पत्तों, पेड़ों की टहनियों, कागज एवं कचरे को खुले में न जलाना तथा इनके सुरक्षित निपटान का तरीका अपनाना।

5. अधिक वृक्ष उगाना, ये प्रकृति के फेफड़े हैं। अपने आस-पास के वृक्षों की देखरेख करना ।

6. फैक्ट्री की चिमनी की ऊंचाई बढ़ाना, जिससे की प्रदूषित वायु निचले इलाकों में सीमित न रहे।

7. वायु प्रदूषण को कम करने वाली आदतों को अपनाना ।

8. धूम्रपान रोकने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना ।

9. इत्र, दुर्गंधनाशक स्प्रे, प्रसाधन सामग्री तथा इसी प्रकार अन्य स्प्रे आदि का उपयोग कम से कम करना ।

10. पेट्रोल, डीजल का उपयोग आवश्यकतानुसार ही करना ।

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