विज्ञान
के क्षेत्र में भारतीयों द्वारा प्रतिष्ठित योगदान
आपने ऐसे वैज्ञानिकों के बारे में पढ़ा है जिन्होंने न केवल
भारत वरन् संपूर्ण विश्व में विज्ञान को समाजोपयोगी बनाने के लिए अपना योगदान दिया
है। इसी श्रृंखला में इस वर्ष भी हम कुछ ऐसे वैज्ञानिकों का परिचय करा रहे हैं
जिनके कार्यों के लिए विज्ञान जगत उनका सदैव ऋणी रहेगा।
1. वराहमिहिर
(VARAHMIHIR)— इनका जन्म सन् 499 में हुआ था। ये
उज्जैन के पास कपित्थ नामक गाँव के निवासी थे। महान खगोलज्ञ और गणितज्ञ आर्यभट से
मिलकर ये इतने प्रभावित हुए कि ज्योतिष विद्या और खगोल ज्ञान को ही इन्होंने अपने
जीवन का ध्येय बना लिया।
आर्यभट की तरह इन्होंने
भी बताया कि पृथ्वी गोल है। विज्ञान के इतिहास में ये प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने
कहा कि कोई ऐसी शक्ति है जो चीजों को जमीन से चिपकाए रहती है। आज इसी शक्ति को
गुरुत्वाकर्षण कहते हैं।
वराहमिहिर ने पर्यावरण
विज्ञान, जलविज्ञान, भूविज्ञान आदि के
बारे में भी महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की थीं। उनका कहना था कि पौधे और दीमक जमीन के
नीचे के पानी को इंगित करते हैं। आज वैज्ञानिक जगत द्वारा इस पर ध्यान दिया जा रहा
है। वराहमिहिर द्वारा ज्योतिष विद्या पर लिखी गई पुस्तकों को ग्रंथ रत्न माना जाता
है।
2. ब्रह्मगुप्त
(BRAHMAGUPTA)— इनका जन्म गुजरात
में सन् 518 में हुआ था। ये
एक प्रखर गणितज्ञ थे। जिन्होंने सबसे पहले शून्य के कार्य करने के नियम बनाए तथा
अनिर्धारित समीकरणों के हल भी दिए।
ये उच्च गणित की संख्यात्मक विश्लेषण शाखा के संस्थापक भी
थे। इसीलिए, भास्कर जैसे
प्रसिद्ध गणितज्ञ ने इन्हें "गणक चक्र चूड़ामणि" की उपाधि दी।
ब्रह्मगुप्त ने ही बीजगणित और गणित की भिन्नता भी बताई तथा खगोल गणना के लिए
बीजगणित का उपयोग करने संबंधी पुस्तक भी लिखी।
3. टी. आर.
शेषाद्रि (T.R. SHESHADRI)- तिरूवेंकट राजेन्द्र
शेषाद्रि का जन्म सन् 1900
में कुल्लीतलाई, तमिलनाडु में हुआ
था। ये भारत में कार्बनिक रसायन की नींव रखने वालों में से एक थे। पौधों पर उनके
शोध कार्यों से कई रासायनिक यौगिकों का पता चला।
ये शैवाल रसायन के विशेषज्ञ माने जाते थे। इनके शोध परिणाम
कृषि और चिकित्सा विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनके शोध कार्यों के
लिए इन्हें नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
4. आर. सी.
बोस (आरसी बोस) - रामचन्द्र बोस का जन्म
सन् 1901 में होशंगाबाद
म.प्र. में हुआ था। ये गणित एवं सांख्यिकी के विद्वान थे जिन्होंने दूर संचार के
लिए नए कोड निकाले ।
कोड की सहायता से त्रुटिहीन संदेश प्राप्त किए जा सकते थे।
इस कार्य के लिए उन्हें अमेरिका का सर्वोच्च वैज्ञानिक सम्मान प्रदान किया गया था।
5. पंचानन
माहेश्वरी (PANCHANAN MAHESHWARI) - इनका जन्म सन् 1904 में जयपुर, राजस्थान में हुआ
। इन्होंने वनस्पति आकृति विज्ञान के अंतर्गत ऐसे पौधे जिनमें फूल उत्पन्न होते
हैं, उनकी आकृति, शारीरिकी और
भ्रूण विज्ञान का अध्ययन कर पौधों की कई जातियों में वृद्धि व विकास की प्रक्रिया
का अध्ययन किया तथा पाई गई भिन्नताओं के आधार पर पौधों का वर्गीकरण भी किया।
वे एक उत्कृष्ट भ्रूण वैज्ञानिक के रूप में विख्यात हुए।
इनकी लिखी पुस्तकें आज भी शालाओं एवं विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिए उपयोग में
लाई जाती हैं।
6. एस.
चन्द्रशेखर (S. CHANDRASHEKHAR)- सुब्रह्मणयम चंद्रशेखर का
जन्म सन् 1910 में लाहौर में
हुआ था । इन्हें 1983 में भौतिक
शास्त्र में नोबल पुरस्कार मिला। सितारों के अध्ययन में योगदान के अतिरिक्त
इन्होंने दो उत्कृष्ट पुस्तकें भी लिखी हैं। एस. चन्द्रशेखर विश्वप्रसिद्ध भौतिक
शास्त्री, खगोल भौतिक
शास्त्री के साथ-साथ गणितज्ञ भी थे।
7. जे.वी.
नार्लीकर ( JAYANT VISHNU NARLIKAR)— इस सृष्टि में असंख्य
नक्षत्र, आकाश गंगाएं और
नीहारिकाएं हैं। यह सब कैसे उत्पन्न हुई होंगी ? इस प्रश्न पर वैज्ञानिक
शताब्दियों से विचार कर रहे हैं। कोल्हापुर महाराष्ट्र में 1938 में पैदा हुए खगोल
भौतिकविद् जयंत विष्णु नार्लीकर ने इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए एक नए
सिद्धांत पर कार्य किया है।
जिसके अनुसार सितारे, आकाशगंगा और अन्य तत्वों के रूप में पदार्थ
सारे संसार में बराबर फैला हुआ है। यह सिद्धांत उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है
जितना आइस्टाइन का सापेक्षता सिद्धांत। इसीलिए इन्हें भारत का आइस्टाइन कहा जाता
है।
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